मन के शब्द
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भींगी पलकों मे अश्कों का समंदर देखा ।
रुसवाइयों का खौफ तेरे दिल के अंदर देखा ।
यकीं जिन पर किया बक्सीस जिंदगी देकर,
उन्हीं के हाथ मे कत्ल का खंजर देखा ।
गुले गुलजार से हमको नहीं गिला कोई ,
बहारें रास्ता भूलीं खिजाये मंजर देखा ।
वक्त का गुलाम हर शख्स है “प्रखर”,
जहां से खाली हाथ जाते सिकंदर देखा ।।
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