मन के शब्द
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डाल पर बैठी नन्हीं चीड़िया
सपने सजाती है ,
फिर
तिनका तिनका चुन कर लाती है
नीड बनाने के लिये ।
सिर छुपाने के लिए
बंदर सोच नहीं पाता है ,
बरसात मे
इस डाल से उस डाल पर जाता है ।
चिड़िया को खुश देख कर
खीसें निकारता है ।
चिड़िया पूछती है
अरे ! तू साल भर क्या करता है ?
इस पर बंदर
और अधिक उछल कूद करता है , तभी अचानक इस उछलकूद से
अपने बजूद से
नीचे गिर कर टूट जाता है घोंसला ।
पस्त हो जाता है चिड़िया का हौसला ,
अवाक देखती रह जाती है
कुछ नही कर पाती है
बेचारी
डाल पर बैठी नन्हीं चिइया ॥
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